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Showing posts from December, 2020

फ़ैक्ट्री के सामने रेहड़ी लगाने वाले ने किया मज़दूरों की जीवन स्थिति का मर्मिक चित्रण

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By Raj Berwal Social Activist, New Delhi ग्रेटर नोएडा  कुलेसरा में एक व्यक्ति से बात हुई जिसका व्यवसाय फैक्ट्री के सामने खस्ता कचौड़ी चाउमीन समोसे की रेहडी लगाना था।  इस व्यक्ति ने कोरोना महामारी व लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का एक मार्मिक चित्रण पेश किया कि कैसे लॉक डाउन के चलते फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों की संख्या में 68% की कमी आई। बात की शुरुआत करते हुए इस व्यक्ति ने कहा कि वह लॉकडाउन से पहले नोएडा की एक फैक्ट्री के सामने अपनी दुकान चलाता था। इस फ़ैक्ट्री में 250 मजदूर काम करते थे। दोपहर के खाने के समय ये सभी मजदूर मेरी दुकान पर आकर खाना खाते थे, जिससे मेरे घर का गुजर-बसर भी अच्छे से चलता था।  लेकिन लॉक डाउन से कुछ समय पहले एमसीडी के लोगों ने मेरी रेहड़ी नुमा दुकान को वहां से हटा दिया। अभी मैं अपनी रेहड़ी नुमा दुकान को फिर से लगाने की कोशिश कर रहा था कि कोरोना महामारी के चलते अनियोजित लॉकडाउन सरकार के द्वारा लगा दिया गया जिसमें यह कंपनी बंद हो गई। मजदूरों के साथ मैं भी बेरोजगार हो गया।  3 से 4 महीने के बाद जब लॉकडाउन खुला तो फैक्ट्रिय...

आप तो चैन से सो रहे हैं साहब, उनका क्या जिनका आशिया ना रहा

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थानेसर रेलवे स्टेशन के पास बसी झुग्गियों को कुरुक्षेत्र प्रशासन ने ये कह कर उजाड़ दिया यहाँ हम सड़क बनाएँगे पिछले लम्बे समय से थानेसर रेलवे स्टेशन के पास लगभग 40 से 50 परिवार अपनी झुग्गी-झोंपड़ियाँ बना कर रह रहे थे। लेकिन आज प्रशासन ने उनकी झुग्गी-झोंपड़ियाँ को उजाड़ कर सभी परिवारों को बेघर कर दिया है। देखा जाए तो प्रशासन के इस क़दम ने झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाली महिलाओं समेत छोटे-छोटे बच्चों को सड़क पर ला खड़ा कर दिया है। क्या इस ठिठुरती जानलेवा सर्दी में लोगों को झुग्गी-झोंपड़ियों से बेघर कर देने वाला यह क़दम उचित ठहराया जा सकता है?  वैसे तो 72 साल की आज़ादी के बाद अगर आज भी लोगों को झुग्गी-झोंपड़ियों में रहना पड़ रहा है तो इसमें सभी सरकारों समेत इस व्यवस्था की ही नाकामी कही जाएगी। एक सरकारी आँकड़े के अनुसार आज भी भारत में लगभग 18 करोड़ की आबादी झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने के लिए मजबूर है। चुनाव के समय जो नेता मंत्री इसी जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन वही नेता मंत्री सत्ता में आने के बाद इन लोगों को बेघर करने का कारण बनते हैं।