फ़ैक्ट्री के सामने रेहड़ी लगाने वाले ने किया मज़दूरों की जीवन स्थिति का मर्मिक चित्रण
By Raj Berwal Social Activist, New Delhi ग्रेटर नोएडा कुलेसरा में एक व्यक्ति से बात हुई जिसका व्यवसाय फैक्ट्री के सामने खस्ता कचौड़ी चाउमीन समोसे की रेहडी लगाना था। इस व्यक्ति ने कोरोना महामारी व लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का एक मार्मिक चित्रण पेश किया कि कैसे लॉक डाउन के चलते फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों की संख्या में 68% की कमी आई। बात की शुरुआत करते हुए इस व्यक्ति ने कहा कि वह लॉकडाउन से पहले नोएडा की एक फैक्ट्री के सामने अपनी दुकान चलाता था। इस फ़ैक्ट्री में 250 मजदूर काम करते थे। दोपहर के खाने के समय ये सभी मजदूर मेरी दुकान पर आकर खाना खाते थे, जिससे मेरे घर का गुजर-बसर भी अच्छे से चलता था। लेकिन लॉक डाउन से कुछ समय पहले एमसीडी के लोगों ने मेरी रेहड़ी नुमा दुकान को वहां से हटा दिया। अभी मैं अपनी रेहड़ी नुमा दुकान को फिर से लगाने की कोशिश कर रहा था कि कोरोना महामारी के चलते अनियोजित लॉकडाउन सरकार के द्वारा लगा दिया गया जिसमें यह कंपनी बंद हो गई। मजदूरों के साथ मैं भी बेरोजगार हो गया। 3 से 4 महीने के बाद जब लॉकडाउन खुला तो फैक्ट्रिय...